Sunday, April 18, 2021

प्रकृति से जीवन

  
 गर्मियों की गर्माहट की आखिरी किरणें दूर होती हैं और पतझड़ की हल्की हवाएं खुद पर कहर ढाती हैं, हम एक बार फिर पहचान लेते हैं, यह परिवर्तन अपरिहार्य है। प्रकृति लगातार बदल रही है और अभी तक, इतने सारे लोगों की धारणा है कि परिवर्तन भयावह है।

 लोग आदत के प्राणी हैं और कुछ लोगो को उन परिवर्तनों को समायोजित करना मुश्किल लगता है जो हमारे रास्ते में आना निश्चित हैं। जीवन जूते की एक पुरानी, ​​आरामदायक जोड़ी की तरह है। हमें एहसास हो सकता है कि हमें नए लोगों की ज़रूरत है और हम नए लोगों को भी पा सकते हैं जिन्हें हम वास्तव में पसंद करते हैं, लेकिन, हम जानते हैं कि बदलने से हमें थोड़ी देर के लिए असुविधा होगी जब तक कि हम उन्हें तोड़ नहीं देते।

 कभी-कभी हमें यह महसूस करने की आवश्यकता होती है कि जीवन हमेशा आसान नहीं होता है। हमारे लिए जो बेहतर हो सकता है वह नहीं है जो हम करने के लिए उपयोग करते है, लेकिन यह निश्चित रूप से नई आदतों और जीवन शैली में परिवर्तन की परेशानी के लायक है।

 बदलाव के लिए दर्दनाक होना जरूरी नहीं है। बस प्रकृति को देखो और यह आपको अहसास करा देगा कि परिवर्तन कैसे सरल हो सकता है। सुंदर रंगीन शरद ऋतु के पत्ते प्रिय जीवन के लिए पुराने पेड़ पर नहीं लटकते हैं। नहीं, वे आसानी से बदलाव के लिए उपजते हैं और पेड़ से धीरे से तैरते हैं।

 शरद ऋतु के आने के साथ हम अपने बगीचों में व्यस्त हो गए हैं और पुराने सामान को खींच कर आराम के समय के लिए तैयार हो रहे हैं। हम जानते हैं कि जमीन को आराम करना चाहिए और अगले साल हमारे बगीचे में हमें खुश करने के लिए और अधिक अद्भुत चीजें होंगी।

 क्या आपके जीवन में ऐसी चीजें हैं जिन्हें धीरे-धीरे अपने जीवन से दूर करने की आवश्यकता है? हो सकता है कि बुरे रिश्ते या आदतें या विचार हैं जिन्हें आपके जीवन से दूर करने की आवश्यकता है। अपने जीवन में थोड़ी बागवानी करने से न डरें।

 हर माली जानता है कि जब तक हम जड़ों तक नहीं पहुंचेंगे, हम वास्तव में समस्या से छुटकारा नहीं पा रहे हैं। थोड़ी देर के लिए यह दूर जा सकता है लेकिन जब तक हम जड़ तक नहीं पहुंचेंगे, यह बहुत जल्दी बगीचे में वापस आ जाएगा।

 हालांकि फसल का समय यहां है लेकिन हमारे दिमाग के बगीचे को तौलने से रोकने का समय नहीं है। इस बगीचे को हमारे फलने-फूलने के लिए निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता है और हम सभी हो सकते हैं। इस बगीचे को शीर्ष आकार में रखने का एकमात्र तरीका यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी मातम हम किसी भी अच्छे को गला नहीं दे रहे हैं जिसे हम करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे मन के खरपतवार, निगेटिव विचार हैं, जो हमें रेंगना पसंद करते हैं और हमें वह हासिल करने से रोकते हैं, जिसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं।

 विलियम जेम्स ने कहा, “मनुष्य अपने मन के आंतरिक दृष्टिकोण को बदलकर, अपने जीवन के बाहरी पहलुओं को बदल सकता है।

 हम अपने मन के आंतरिक दृष्टिकोण को कैसे बदलते हैं? हमारे सोचने का तरीका बदलकर। हमें अपने पीछे भय और नकारात्मकता को रखना चाहिए। कैसे, आप पूछें? जिस तरह पतझड़ की पत्तियाँ धीरे-धीरे पेड़ से उड़ती हैं, उसी तरह रात को अपनी सोच में बदलाव न करें और तुरंत नतीजे पाने की उम्मीद करें। हम इन विचारों को अपने दिमाग से बाहर नहीं निकाल सकते हैं, जितना हम कभी-कभी चाहते हैं। नहीं, हमें खुद पर कोमल होने की जरूरत है और सकारात्मक विचारों को नकारात्मक की जगह लेने दें।

 हाँ यह आपकी ओर से कुछ काम करेगा। आपको लगातार अपने मन को सकारात्मक विचारों से भरना होगा। नीतिवचन 27: 3 कहता है, जैसा मनुष्य अपने हृदय में विचार करता है, वैसा ही उसके साथ हो जाता है। हम वह है? जो हम सोचते हैं। जब आपके मन में नकारात्मक विचार आते हैं, तो आपको उन विचारों को सकारात्मक बिचारो के साथ बदलने के लिए तैयार होना चाहिए। बस अपने आप से कहो, नहीं, मैंने ऐसा नहीं सोचा था कि मेरे दिमाग पर कब्जा कर लो, मैं सकारात्मक सोचूंगा। यह आसान नहीं होगा, यह मुश्किल भी नहीं होगा, यह सिर्फ अलग होगा, जैसे कि हम पहले जो जूते की नई जोड़ी की बात कर रहे थे।

 शरद ऋतु के पत्ते नए जीवन के लिए रास्ता बनाते हैं। हमें भी उन बदलावों से गुजरना होगा जो हमारे शरीर, आत्माओं और आत्माओं में नई वृद्धि लाएंगे।

 परिवर्तन अवश्यंभावी है, तो इससे क्यों लड़ें? इससे क्यों डरना? हां, बदलाव के लिए हमें थोड़ा-बहुत पढ़ना होगा लेकिन यह हमेशा इसके लायक है। परिवर्तन से डरो मत, एक परिवर्तन आपको अच्छा करेगा।

Saturday, May 9, 2020

Environment

 आज मैंने एक नया टॉपिक पर्यावरण पर विचार किया की जिस पर्यावरण के लिए हम सदियों से प्रयासरत थे की इसे किस प्रकार शुद्ध किया जाए जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पर्यावरण हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है पर्यावरण यदि शुद्ध होता है तो हमारा जीवन यापन आसान होता है और हम इसमें आसानी से रह सकते हैं लेकिन विगत वर्षों से यह इस प्रकार दूषित हो गया की इसमें रहना तो दूर हम इसमें खुली सांस तक नहीं ले सकते और और तो और हमें तमाम प्रकार की बीमारियां घेर लेती हैं जिससे हमारा स्वास्थ्य हमारा धन सब कुछ नष्ट हो जाता है लेकिन  इस देशव्यापी lockdown से हमारा पर्यावरण उम्मीद से कहीं ज्यादा शुद्ध हो गया है और हम इसमें आसानी से जीवन यापन कर रहे हैं भला ही इसके साथ हमें कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है कुछ अर्थ का कुछ राशन का कुछ पैसे का अभाव जरूर है पर हमारा स्वास्थ्य कहीं बेहतर हो रहा है और हमारी पर्यावरण भी शुद्ध है इसलिए हमें इसका इसी कारण ध्यान रखना चाहिए हम जानते हैं इसी पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए अरबों करोड़ों रुपए देश ने गांव आए हैं फिर भी कुछ हाथ नहीं आया लेकिन आज करो ना नाम का वायरस इस कदर देश में गदर मचा या की लोगों को प्रकृति से छेड़छाड़ का एहसास हुआ और वह इससे कुछ नुकसान तो जरूर उठाएं पर हमारे प्रकृति पर कुछ अच्छा ही प्रभाव पड़ा अतः अब इसी प्रकार हमें हमारी प्रकृति का ध्यान रखना होगा हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब भी हम प्रकृति से छेड़छाड़ करते हैं प्रकृति हमें इसका सजा जरूर देती है उसी सजा रूप में आज जन-जन परेशान हैं अतः आप सभी से मेरा निवेदन है कि आप प्रकृति को ध्यान में रखते हुए अपने जीवन यापन को बेहतर बनाने का प्रयास करें और  प्रकृति का ध्यान रखें  ...............  ......धन्यवाद

Wednesday, May 6, 2020

ईश्वर की खोज

Ishwar  ईश्वर एक ऐसा विषय है जिसके बारे में आज तक लो भ्रमित है वह हर जगह खोजते हैं पर शायद उनको यह नहीं पता है कि जिस ईश्वर की खोज आप मंदिरों मस्जिदों गुरुद्वारों और तमाम जगह पर करते हैं दरअसल वह ईश्वर आपके अंतरात्मा में उपस्थित है ।  यह कहना गलत नहीं होगा कि जब भी आप कोई अच्छा कार्य करते हैं जैसे किसी की मदद करते हैं किसी के परेशानी को दूर करते हैं तो उस समय आपके शरीर के अंदर से वही ईश्वर आपको प्रेरणा देता है कि ऐसा करो लेकिन जब भी आप किसी व्यक्ति को सताते हैं परेशान करते हैं अथवा उसकी जरूरत में सहायता नहीं करते हैं तो उस समय वह ईश्वर आपके शरीर में विराजमान नहीं रह कर मंदिरों और मस्जिदों के द्वारा आपको पुकारता है और आजीवन आप उसे उन्हीं मंदिरों मस्जिदों में खोजते रहते हैं क्योंकि आपने कभी अपने शरीर के अंदर के अर्थात मन में बसे ईश्वर के दर्शन किए ही नहीं आप तो वह मूर्त रूप ईश्वर की पूजा करने में लीन हो गए जबकि आपको पता है ईश्वर अमूर्त है निराकार है हर जगह घट घट में विराजमान है ।                 धन्यवाद